| 1. | िवाद के कट्टर विरोधी , त्रिभुवन नारायण सिंह, पृ०-५५
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| 2. | िवाद के कट्टर विरोधी , त्रिभुवन नारायण सिंह, पृ०-५५
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| 3. | त्रिभुवन जी बोलते गये और सरोज लिखती गई।
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| 4. | मन्द हसत करुणामयी त्रिभुवन मन मोहै॥ जय . .
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| 5. | और त्रिभुवन एक ही व्यक्ति होंगे / हो सकते हैं.
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| 6. | वहीं त्रिभुवन जी ने किताब सरोज को थमाया।
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| 7. | कृपा दृष्टि हो तुम्हारी , त्रिभुवन सुख दाता ॥
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| 8. | कृपा दृष्टि हो तुम्हारी , त्रिभुवन सुख दाता ॥
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| 9. | त्रिभुवन जी के कमरे में घटना घटी थी।
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| 10. | तब लग चीत न आवई , त्रिभुवन पति दाता।।
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