| 1. | PMमत मंसूबे बाँध बटोही , सफर बड़ा बेढंगा है।
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| 2. | पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान करले।
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| 3. | बिकल बटोही बीच ही , परयौ मूरछा खाय।
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| 4. | फिर भी चलता जा रे तू बटोही . ..!!!!
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| 5. | हां लकडियाँ सुलग रही थीं . ...बनती बिगड़ती बटोही सी.....
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| 6. | बटोही सब घाट पर बैठे खा-पी रहे हैं।
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| 7. | वहाँ बटोही कोई अपनी राह चला जाता है;
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| 8. | तभी एक बटोही वहाँ आ निकलता है ।
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| 9. | राह के बटोही - डॉ . सच्चिदानंद सिन्हा
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| 10. | रात का बटोही यह बाट लिए फिरता है ,
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