| 1. | बिकसे संत सरोज सब , हरषे लोचन भृंग ॥”
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| 2. | अफ्रीका में खाने के लिए गोलिक्थ भृंग (
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| 3. | *** आया बसंत बिहँस उठे भृंग सुनायें छंद।
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| 4. | भृंग फिरे हैं सिर्फ़आँख मौसम की नहीं फिरी।
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| 5. | वह अपने को भृंग समझने लगता है।
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| 6. | व्यापारी अनाज भृंग , जो लगभग असंभव है के अलावा
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| 7. | इसे चक्र भृंग भी कहा जाता है।
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| 8. | कुमुद -बृंद संकुचित भए भृंग लता भूले॥
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| 9. | गाओ दिवि , चातक, चटक, भृंग भय छोड़े
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| 10. | इसे चक्र भृंग भी कहा जाता है।
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