| 1. | चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं , प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालं।
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| 2. | सोलह कण्ठ प्रदेश विशुद्ध्हि , दो दल भ्रू बिच
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| 3. | भ्रू धनुष के मध्य उसकी मुष्टि स्थापन की
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| 4. | हुर् र . ज ू ... भ्रू ... श्रू करते हुए।
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| 5. | हुर् र . ज ू ... भ्रू ... श्रू करते हुए।
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| 6. | लसद्भालबालेंदु कंठे भुजंगा॥ चलत्कुंडलं भ्रू सुनेत्रं विशालं।
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| 7. | रंजित कपोल भ्रू अधर , अंग सुरभित वासित;
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| 8. | एक भ्रू रास् ते को लेकर भी है …
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| 9. | ' छन भवन, छन बाहर विलोकति पंथ भ्रू पर पानि कै।'
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| 10. | भ्रू विलास के संकेतों में जो लुभा रही सबको मौन
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