| 1. | ये किस मक़ाम पे लाई है मेरी तनहाई
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| 2. | एक दूसरे मक़ाम पर मौसूफ़ कहते हैं :
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| 3. | “ये किस मक़ाम पे मेरी हयात लाई मुझे ,
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| 4. | यही ‘ बंदगी का मक़ाम ‘ कहलाता है।
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| 5. | रात जब ढल गइ , छुपने का ये मक़ाम...
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| 6. | पहुँचे हैं , उस मक़ाम पै अब उनके हैरती
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| 7. | सूफी दर्शन में मक़ाम की खास भूमिका है।
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| 8. | हवस का मक़ाम जहन्नम है जन्नत नहीं है।
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| 9. | हर मक़ाम पे लहराएँ पताका हमारे काले कारनामोंकी ,
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| 10. | तलाशे मंजिल के और मक़ाम बाकी है . ...
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