| 1. | हे ! माता, मातामह और प्रमातामह आपको भी बारंबार प्रणाम।
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| 2. | िषद् तथा मातामह आदि ( मेरे) भय एवं पाप को दूर
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| 3. | फिर मेरे मातामह राय खिरोधरलाल ने बहादुरशाह के काल के
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| 4. | मातामह -मातामही दोहित्र मरण पर विचार
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| 5. | हे ! माता , मातामह और प्रमातामह आपको भी बारंबार प्रणाम।
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| 6. | हे ! माता , मातामह और प्रमातामह आपको भी बारंबार प्रणाम।
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| 7. | पार्वण में मातामह आदि के लिए भी तीन पिण्ड बनाए जाते हैं।
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| 8. | इस प्रकार यह माना जाता है कि मातामह का श्राद्ध सुख व शांति व सम्पन्नता की निशानी है।
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| 9. | व्यक्ति को पिता , पितामह, प्रपिता आदि से जोडकर भी देखा गया है और माता, मातामह और प्रमाता आदि से भी।
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| 10. | अब तिल के साथ पिता , पितामह , प्रपितामह और माता , मातामह , प्रमातामह के निमित्त तीन-तीन तिलांजलियां दें।
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