| 1. | रज आरज लागो मेरी अंखियन , रोग दोष जंजाल
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| 2. | रज बोले , उस साले को कया होगा।
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| 3. | चरन कमल रज चाहति कृपा करहु रघुबीर॥ .
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| 4. | गोधूलि की रज पर्यावरण में बिछ गई थी।
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| 5. | अन्य शास्त्रीय योग- कुमार्यासव , रज: प्रवर्तनी वटी ,
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| 6. | अन्य शास्त्रीय योग- कुमार्यासव , रज: प्रवर्तनी वटी ,
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| 7. | वर्णाश्रम अभिमान तजि , पद रज बंदहिजासु की।
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| 8. | अविधाएं रज आदि के अनुवेध-वैचित्त्य से अनन्त हैं।
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| 9. | किंचित रज कण रच देते हैं अविकल सृष्टि
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| 10. | सूरदास चरनन रज माँगत , निरखत रुप निधान ॥
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