| 1. | बनकर विवेकी तुम दिखाओ हंस जैसी चातुरी ।
|
| 2. | यह कहानी लिखी है विवेकी राय जी ने।
|
| 3. | आखिर विवेकी के लिए भी तो शरीर ,
|
| 4. | खुद विवेकी राय जी शिक्षक रह चुके हैं।
|
| 5. | विवेकी ऐसे शब्दों का प्रयोग कभी नहीं कर
|
| 6. | विवेकी मनुष्य की महत्ता हमेशा कायम रहती है।
|
| 7. | बाकी नीर-क्षीर विवेकी वरिष्ठ चिट्ठाकार खूब जानते हैं .
|
| 8. | विवेकी राय मूलतः गँवई सरोकार के रचनाकार हैं।
|
| 9. | पत्रकार के चिट्ठे पे कबहु विवेकी न जाइ
|
| 10. | कुबेरनाथ राय और विवेकी राय जैसे समकालीन निबंध-लेखकों
|