| 1. | 117 : विसर्प ( फुंसियों का दल बनना )
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| 2. | 117 : विसर्प ( फुंसियों का दल बनना )
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| 3. | विसर्प - त्वचा पर पड़ने वाली लाल लाल फुन्सियों को विसर्प कहते है।
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| 4. | विसर्प - त्वचा पर पड़ने वाली लाल लाल फुन्सियों को विसर्प कहते है।
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| 5. | दुग्धकन्द , हेमकन्द , मुरहरी ( मूर्वा ) , धवलकन्द , विसर्प वैरी
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| 6. | दुग्धकन्द , हेमकन्द , मुरहरी ( मूर्वा ) , धवलकन्द , विसर्प वैरी
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| 7. | शोथ ( सूजन ) , खुजली तथा विसर्प आदि रोगों का नाशक है ।
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| 8. | सर्प के समान विशेष रूप से फैलने वाला होने से विसर्प कहलाता है ।
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| 9. | गुडुच्यादि तेल : वात रक्त, कुष्ठ रोग, नाड़ी व्रण, विस्फोट, विसर्प व पाद दाहा पर उपयुक्त।
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| 10. | गुडुच्यादि तेल : वात रक्त, कुष्ठ रोग, नाड़ी व्रण, विस्फोट, विसर्प व पाद दाहा पर उपयुक्त।
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