| 1. | कैसे ? वैराग्य और ईश्वर की अनन्य भक्ति से।
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| 2. | कैसे ? वैराग्य और ईश्वर की अनन्य भक्ति से।
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| 3. | वैराग्य से साधारणतः लोग समझते हैं , विराग।
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| 4. | ज्ञान और वैराग्य को भी छोड़ दो ,
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| 5. | इसलिये उसे भी वैराग्य कह सकते हैं ।
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| 6. | अभ्यास के बिना वैराग्य परिपक्व नहीं होता है।
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| 7. | यह ज्ञान , भक्ति और वैराग्य का संगम है।
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| 8. | वैराग्य , नि:सारता और दहशत का मिला जुला भाव।
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| 9. | तब धरा के विषाद और वैराग्य से ही
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| 10. | भक्ति , ज्ञान , वैराग्य भाव हैं |
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