| 1. | ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत : पुरूत्रा शूर वृत्रहन्।
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| 2. | यथाधिकार : श्रौतेषु योषितां कर्मसु श्रुत : ।
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| 3. | श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन श्रुत संवर्धिनी महासभा |
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| 4. | महानुभावों ! आपने भगवान् महावीर के श्रुत तो के...
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| 5. | संस्मरण : ऋणजल-धनजल, वन तुलसी की गन्ध, श्रुत अश्रुत पूर्व।
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| 6. | श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन श्रुत संवर्धिनी महासभा
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| 7. | इस अंगबाह्य श्रुत में श्रमणाचार का मुख्यतया वर्णन है।
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| 8. | ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत : पुरूत्रा शूर वृत्रहन्।
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| 9. | यह श्रुत अभ्यास आषाढ शुक्ला एकादशी को समाप्त हुआ।
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| 10. | बिना संत पावे नही , श्रुत शब्द निशानी।
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