| 1. | आस्था वालों की दुनिया इतनी संवेदनाहीन क्यों है !
|
| 2. | सरकारी विज्ञप्ति की तरह शुष्क और संवेदनाहीन ।
|
| 3. | संवेदनाहीन तो नहीं हुआ है शायद मन . .
|
| 4. | आधुनिक संवेदनाहीन समाज की कलई उघाड़ती सशक्त कविता।
|
| 5. | लंबी गुलामी व्यक्ति को संवेदनाहीन बना देती है।
|
| 6. | संवेदनाहीन मनुष्य पशु की कोटि का होता है।
|
| 7. | सरकारी विज्ञप्ति की तरह शुष्क और संवेदनाहीन ।
|
| 8. | आज का बुद्धिमान मानव कितना संवेदनाहीन हो गया है।
|
| 9. | आस्था वालों की दुनिया इतनी संवेदनाहीन क्यों है !
|
| 10. | असे-कसे रे संवेदनाहीन तुम्ही पर्वा नाही मानवतेची कि जीवनाची
|