| 1. | स्वर निकल कर चला साज के तार से
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| 2. | बुद्ध के साज पर ध्यान का गीत जमा।
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| 3. | तन से मिलन के साज छेड़ता है कोई
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| 4. | आवाज़ तलक बंद थी , कहाँ साज और सामान
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| 5. | के आइल हो साज हमारे , कइलड़ पार्टी जिन्दाबाद
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| 6. | साज ही रहता तो अच्छा था - 2
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| 7. | ' ' साज उसीका है जो बजाना जानता है।
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| 8. | ' ' साज उसीका है जो बजाना जानता है।
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| 9. | ' ' साज उसीका है जो बजाना जानता है।
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| 10. | ' ' साज उसीका है जो बजाना जानता है।
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