| 1. | हरि जोति अइलय कुदारि मारी अइलय हो ना .
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| 2. | हरि माया बल बरनत पुनि पुनि परम सुजान।।
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| 3. | “ छोड़ मन हरि विमुखन को संग ,
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| 4. | मीरा की कविता हैसिसुण्यारी म्हारे हरि आवाँगा आज।
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| 5. | तण मण वार्यां हरि चरणमां दरसण प्यास्यां री।
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| 6. | सो तनु धरि हरि भजहिं न जे नर।
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| 7. | जिमि हरि सरन न एक हू बाधा ।
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| 8. | हरि हरसे हरि देखकर , हरि बैठे हरि पास।
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| 9. | हरि हरसे हरि देखकर , हरि बैठे हरि पास।
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| 10. | हरि हरसे हरि देखकर , हरि बैठे हरि पास।
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