(१) खानपान से, अर्थात् संसेचित अंडों से युक्त भोजन से, जैसा केंचुआ, नेमाटोडा आदि के संक्रमण में होता है, या लार्वा संवाही साइक्लोप्स (cyclops) से युक्त जल को पीने से, या ट्रिकिनेल्ला (Trichinella) के मिस्टयुक्त मांस के भक्षण से, (२) त्वचाभेदन द्वारा, जैसे अंकुश कृमि प्रविष्ट होते हैं, (३) कीटवंश से, जैसे फाइलेरिया के कृमि प्रवेश करते हैं एवं (४) श्वास द्वारा धूल के साथ उड़ते अंडों के शरीर में प्रवेश करने से, जैसा केंचुआ या सूत्रकृमि के संक्रमण में होता है।