खैर, फिलहाल चुनाव आयोग इस गंभीर अंतर्राष्ट्रीय मामले को परे रख कर नेपाली रेडियो पर अपने कान लगाये हुए है और हिसाब चल रहा है कि किसने कितनी मुद्रा खर्ची-चाहे इधर हो या उधर!!
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भारत-नेपाल सीमा पर चल रही हलचलों को लेकर कोई राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ठोस नीति निर्माण का ना तो विशेष प्रयास ही किया गया है और ना ही इसे मुख्यधारा के अंतर्राष्ट्रीय मामले के तौर पर स्वीकार ही किया जाता है!
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इसका गठन सितंबर १९६८ में किया गया था जब अन्वेषण ब्यूरो (जो पहले घरेलु व अंतर्राष्ट्रीय मामले संभालती थी) १९६२ के भारत-पाक युद्ध व १९५६ के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अच्छी तरह कार्य नहीं कर पाई थी जिसके चलते भारतीय सरकार को एक ऐसी संस्था की ज़रूरत महसूस हुई जो स्वतन्त्र और सक्षम तरीके से बाहरी जानकारियाँ जमा कर सके।