महान शूरमाओं और बलिदानियों कि इस धरती पर फिर से स्वाधीनता आन्दोलन का शंखनाद १ ९ ० ५ के बंग भंग से उत्पन्न वतावरण में ही हो गया, जिसकी अंतिम चरम परिणति १ ९ ४ २ की महान भारत-छोडो अगस्त क्रांति के रूप में हुयी.
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अन्य की बात तो छोडि़ये धार्मिक किताब पढ़कर फिर उसका ज्ञान लोगों को सुनाकर पहले उनके दिल में स्थान बनाने वाले कई कथित गुरु फिर राजनीति को स्वच्छ बनाने के लिये उसमें घुस जाते हैं-यह लोकतंत्र व्यवस्था होने के कारण हुआ है क्योंकि लोग राजनीति विजय को प्रतिष्ठा का अंतिम चरम मानते हैं।
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अन्य की बात तो छोडि़ये धार्मिक किताब पढ़कर फिर उसका ज्ञान लोगों को सुनाकर पहले उनके दिल में स्थान बनाने वाले कई कथित गुरु फिर राजनीति को स्वच्छ बनाने के लिये उसमें घुस जाते हैं-यह लोकतंत्र व्यवस्था होने के कारण हुआ है क्योंकि लोग राजनीति विजय को प्रतिष्ठा का अंतिम चरम मानते हैं।