एक दासी स्वर्णपात्र में केसर, अगुरु, चन्दन-मिश्रित अंगराग और नवमल्लिका की माला, कई ताम्बूल लिये हुए आयी, प्रणाम करके उसने कहा-‘‘ महाश्रेष्ठि धनमित्र की कन्या ने श्रीमान् के लिए उपहार भेजकर प्रार्थना की है कि आज के उद्यान गोष्ठ में आप अवश्य पधारने की कृपा करें।
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इसे चम्पा और गुलाल आदि सुगन्धित द्रव्यों से सुवासित किया गया है तथा यह कस्तूरीरस, चन्दन, अगुरु और सुधा की धारा से आप्लावित है॥ 9 ॥ मैं कह्लार, उत्पल, नागकेसर, कमल, मालती, मल्लिका, कुमुद, केतकी और लाल कनेर आदि फूलों से, सुगन्धित पुष्पमालाओं से तथा नाना प्रकार के रसों की धारा से लाल कमल के भीतर निवास करने वाली श्रीचण्डिका देवी की पूजा करता हूँ॥ 10 ॥ श्रीचण्डिका देवी! देववधुओं के द्वारा तैयार किया हुआ यह दिव्य धूप तुम्हारी प्रसन्नता बढाने वाला हो।