हालांकि, कुछ मोतियाबिंद शल्य चिकित्सक अगोली आईओएल (IOL) के लाभों पर बहस करते है, क्योंकि विपर्यास संवेदनशीलता बड़ी उम्र के रोगियों में अधिक समय तक नहीं रहती.
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2004 में बॉश और लॉम्ब ने पहला अगोली आईओएल (IOL) विकसित किया जो लेन्स के मध्य भाग की तुलना में परिधि के सपाट होने के कारण बेहतर विपर्यास संवेदनशीलता प्रदान करता है.