बाद में विकासशील समाज ने पृथक आवासों का निर्माण किया तब भी अग्निस्थान निश्चित रहता था।
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गृह, गृध व अग्नि रखने के स्थान हर्म्य का अर्थ अग्निस्थान भी है और भवन भी है।
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गृह, गृध व अग्नि रखने के स्थान हर्म्य का अर्थ अग्निस्थान भी है और भवन भी है।
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डॉ रामविलास शर्मा लिखते हैं कि प्राचीन समाजों में अग्निस्थान और आवास दोनों के लिए अग्नि सम्बन्धी शब्दावली देखने को मिलती है।
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डॉ रामविलास शर्मा लिखते हैं कि प्राचीन समाजों में अग्निस्थान और आवास दोनों के लिए अग्नि सम्बन्धी शब्दावली देखने को मिलती है।
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अग्निस्थान के आश्रय वाले गौण अर्थ को बाद के दौर में प्रधानता मिली और अग्नि को सुरक्षित रखने वाले सुरक्षित, घिरे हुए स्थान का भाव इसमें खास हो गया।
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शयन कक्ष, शृंगार के साधन, तिजोरी, दो जुड़वां वस्तुओं, श्रेष्ठ रंग प्रधान वस्तुओं आदि का कारक शुक्र तथा ऊंची जमीन, पत्थर, अग्निस्थान आदि का कारक सूर्य है।