साधुवाद इस उम्दा पोस्ट के लिए..........वैसे कहना नहीं किसी से, मैं भी अघाया हुआ हूँ......अपनी ही मूर्खताओं से.......देखो न............सुबह से चार बार गर्म चाय आई, लेकिन हर बार ठंडी हो गई...........यार ये ब्लोगिंग का नशा कमाल का नशा है ।
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मैला आंचल ” से शुरुआत की, और तब से सफ़र जारी है अपनी व्यस्त जिंदगी के बीच ब्लॉगिंग के लिये समय निकालना एक बीमारी का लक्षण जैसा है, जिसे ब्लॉगेरिया भी कह सकते हैं, ब्लॉगर के लिये कहा गया कि जो खाया, पिया अघाया हुआ है और बौद्धिक अय्याशी चाहता है, वह ब्लॉगर है।
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सतीश पंचम जी ने बताया कि उन्हें लगा कि साहित्य पढ़ना चाहिये तो उन्होंने फ़णीश्वरनाथ रेणू की “मैला आंचल” से शुरुआत की, और तब से सफ़र जारी है अपनी व्यस्त जिंदगी के बीच ब्लॉगिंग के लिये समय निकालना एक बीमारी का लक्षण जैसा है, जिसे ब्लॉगेरिया भी कह सकते हैं, ब्लॉगर के लिये कहा गया कि जो खाया, पिया अघाया हुआ है और बौद्धिक अय्याशी चाहता है, वह ब्लॉगर है।