स् वयं को सकारात् मक विचारों के पोषक तत्त् वों से पोषित करके देखेंगे तो आपको विश् वास ही नहीं होगा, क् योंकि आप होने वाले परिवर्तनों के फलस् वरूप इतना समृद्ध हो चुके होंगे कि आप को अचंभित होना पड़ेगा।
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ज्यादा विस्तार से ना जाकर अपने विषय को केवल आदर्श हाउसिंग सोसाइटी के मामले पर समेंटें तो देख तक अचंभित होना पडता है कि कैसे अपने फायदे के लिए नेताओं और नौकरशाहों ने फाइलों में हेरफेर करके अपने फायदे से घर हथिया लिया।
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……पर आज के आधुनिक जीवन में विकाश की दौड़ में सबकुछ जायज है-नग्नता कही नहीं है केवल विचार में ही खोट है-क्योंकि जोकुछ हमने पहले नहीं देखा उसे देख कर अचंभित होना मनुष्य का स्वभाव है ऐसा मैं मानता हूँ!