अक्सर किसी चलते-फिरते दरबार के साथ (पांच लोग अडवाल के आगे और पांच लोग पीछे) नज़र आने वाले अडवाल फिलहाल ल्यूटेन की दिल्ली में मुकेश अंबानी के सबसे प्रिय योद्धा के रूप में तैनात हैं जो नौकरशाही के ऐसे किसी भी लाल फीते को काटने की कुव्वत रखता है जो उनकी कंपनी की राह का रोड़ा बन रहा हो.
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शंकर अडवाल चेरियन भले ही इस बारे में कुछ न बोलें कि किस तरह से उनकी टीम ने फाइलों को सत्ता के गलियारों में सफलता से आगे बढ़ाया लेकिन दिग्गज यूरोपियन पैकेजिंग कंपनी टेट्रा पैक (जो कच्चे सामान के आयात करों में कटौती चाहती थी) के लिए की गई उनकी कोशिशें अख़बारों की ख़बरों में अच्छी तरह से क़ैद हैं.