सुशीला तटस्थ खड़ी अपने अदिन की यह क्रूर क्रीड़ा देखती रही।
15.
फूलमती ने सिर पीटकर कहा-ऐसी बातें क्यों लिखते हो बेटा? जानते नहीं हो, आजकल हमारे अदिन आए हुए हैं।
16.
मेरे अदिन आ गए, शिव-शिव! मैं इस आक्षेप का क्या उत्तार दूँगा! भगवन्, तुमने घोर संकट में डाल दिया।
17.
अबेटमेंट का अर्थ यह नही हुआ की कोई बातचीत हुई और उसके बीस अदिन बाद आम आत्म हत्या कर लियें तो राखी दोषी है।
18.
गाँधी जी ने आज्ञा दी है कि हिन्दुओं में छूत-छात का भेद न रहे, नहीं तो देश को और भी अदिन देखने पड़ेंगे।
19.
आज राण्ड ढिलड़ी, आज ढुँढाड़ अनाथई आज अदिन प्रथ्विराज, आज सावंत बिन मथाई! आज पर दल दल जोर, आज निज दल भ्रम भग्गे आज मही बिन कसम, आज मुरजाद उलंगे! हिंदवाण आज टुटी ढिली, अब तुरकाणी उच्टीय कूरमं पजून मरतां थकां, मनहुं चाप गुण तुटीय!!
20.
परशुराम-तो तुम उस आदमी के साथ चल दी? वह कौन था? मर्यादा-क्या बतलाऊं कौन था? मैं तो समझती हूं, कोई दलाल था? परशुराम-तुम्हे यह न सूझी कि उससे कहतीं, जा कर बाबू जी को भेज दो? मर्यादा-अदिन आते हैं तो बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है।