अभियुक्तगण के विद्वान अधिक्ता द्वारा विद्वान जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) के तर्को का खण्डन किया एवं तर्क दिया गया कि यह सही है कि अभियुक्तगण व मृतक की आपस में रंजिश थी और उनका मुकदमा पिथौरागढ न्यायालय में चल रहा था जैसा कि पी0डब्ल्यू0-1 प्रेम राम द्वारा अपनी मुख्य परीक्षा में कहा गया है कि ‘‘ इस घटना से पहले हमारा अभियुक्तगण के साथ धारा-307,323,324 भारतीय दण्ड विधान का मुकदमा चल रहा था जो आज भी माननीय न्यायालय में है‘‘।