भावार्थ:-सातवीं भक्ति है जगत् भर को समभाव से मुझमें ओतप्रोत (राममय) देखना और संतों को मुझसे भी अधिक करके मानना।
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हम जिसे प्रतिद्वंद्वी समझते हैं उसकी ताकत को कम करके नहीं, बल्कि अधिक करके आकलन करना चाहिए, ताकि उसके खिलाफ कारगर रणनीति बना सकें।
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सूर्य क्योंकि आंख है और व्यय भाव खर्च का भाव है, इसलिए ऐसा व्यक्ति आंख का प्रयोग आवश्यकता से अधिक करके अपनी आंख को बिगाड़ लेता है।
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आप केवल व्यायामों को कुछ देर अधिक करके गोंग कैसे बढ़ा सकते हैं जब आपके हाथ उठाये रखने से दर्द कर रहे हों और आपके पैर खड़े रहने से थके जा रहे हों?
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इन कारणों से, मानवीय समस्याओं के प्रश्न पर हमें विज्ञान और वैज्ञानिक पद्धतियों को आवश्यकता से अधिक करके नहीं आँकना चाहिए और यह भी नहीं मानना चाहिए कि समाज के संगठन को प्रभावित करने वाले प्रश्नों पर अभिव्यक्ति का अधिकार केवल विशेषज्ञों का ही है।
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यदि माता पिता अपना बच्चा उन स्कूलों में पढ़ता है जो स्कूल नामी ग्रामी स्कूल से कम स्तर पर होते है और उनकी फीस भी सामान्य लगती है तो भी माता पिता को इन स्कूलों की फीस की मार सहनी पड़ती है क्योंकि यह स्कूल भी उन बड़े बड़े स्कूलों की तरह अपनी फीस अधिक करके मनमानी करते हैं।
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सातवीं भक्ति है जगत भर को सम भाव से मुझमें ओत-प्रोत (राममय) देखना और संतों को मुझसे भी अधिक करके मानना॥ आठवीं भक्ति है जो कुछ मिल जाए उसी में संतोष करना॥ और स्वपन में भी पराये दोषों को न देखना॥ नवम सरल सब सन छलहीना, मम भरोस हियं हर्ष न दिना नव महू एकऊ जिन्ह के होई, नारि पुरूष सचराचर कोई॥
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आप केवल व्यायामों को कुछ देर अधिक करके गोंग कैसे बढ़ा सकते हैं जब आपके हाथ उठाये रखने से दर्द कर रहे हों और आपके पैर खड़े रहने से थके जा रहे हों? आप गोंग को केवल कुछ घंटे अधिक व्यायाम करके कैसे बढ़ा सकते हैं? उसका उपयोग केवल व्यक्ति के मूल-शरीर को रूपांतरित करने के लिए होता है, किन्तु तब भी इसे शक्ति द्वारा दृढ़ किया जाना आवश्यक है।