जीर्ण बाह्यत्वक् (केंचुल) के फटने से पूर्व ही इसके भीतरवाले अधिचर्म की कोशिकाएँ नवीन बाह्यत्वक् का उत्सर्जन कर देती हैं।
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जीर्ण बाह्यत्वक् (केंचुल) के फटने से पूर्व ही इसके भीतरवाले अधिचर्म की कोशिकाएँ नवीन बाह्यत्वक् का उत्सर्जन कर देती हैं।
13.
इसी अवस्था में पक्ष तथा अन्य अवयव अपने अधिचर्म की थैलियों से बाहर निकल आते हैं और प्रत्यक्ष हो जाते हैं।
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इसी अवस्था में पक्ष तथा अन्य अवयव अपने अधिचर्म की थैलियों से बाहर निकल आते हैं और प्रत्यक्ष हो जाते हैं।
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इसी अवस्था में पक्ष तथा अन्य अवयव अपने अधिचर्म की थैलियों से बाहर निकल आते हैं और प्रत्यक्ष हो जाते हैं।
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जीर्ण बाह्यत्वक् (केंचुल) के फटने से पूर्व ही इसके भीतरवाले अधिचर्म की कोशिकाएँ नवीन बाह्यत्वक् का उत्सर्जन कर देती हैं।
17.
पहला अधिचर्म भूतल झिल्ली के इर्द-गिर्द एक पट्टी जैसा जमाव (“ल्युपस बैंड परिक्षण” पोज़िटिव है).दूसरा अधिचर्म कोशिकाओं के न्युक्लिआइ के भीतर (एंटी-न्यूक्लियर प्रतिरक्षी).
18.
पहला अधिचर्म भूतल झिल्ली के इर्द-गिर्द एक पट्टी जैसा जमाव (“ल्युपस बैंड परिक्षण” पोज़िटिव है).दूसरा अधिचर्म कोशिकाओं के न्युक्लिआइ के भीतर (एंटी-न्यूक्लियर प्रतिरक्षी).
19.
अधिचर्म (epidermis) के संकुचि होने के फलस्वरूप, भीतरी ऊतकों के कई खंड हो जाते हैं एवं प्रत्येक खंड अंकुरों में परिवर्तित हो जाते हैं।
20.
शरीर (anatomy) की दृष्टि में मूल के तीन भाग है: अधिचर्म (epidermis), वल्कुट (cortex) तथा रंभ।