2. अनात्मवाद अनात्मवाद का यह मतलब नहीं कि सच में ही ' आत्मा ' नहीं है।
12.
परन्तु हेगेल के बाद मार्क्स, रोंगेतस आदि ने भौतिकवादी दृष्टिकोण से अनात्मवाद की नई व्याख्या प्रस्तुत की।
13.
इस प्रकार बौद्धमत में उपनिषदों के आत्मवाद का खंडन करके “ अनात्मवाद ” की स्थापना की गई है।
14.
पाश्चात्य दार्शनिकों में अनात्मवाद का अधिक तटस्थता से विचार हुआ, क्योंकि दर्शन और धर्म वहाँ भिन्न वस्तुएँ थीं।
15.
बौद्ध दर्शन तीन मूल सिद्धांत पर आधारित माना गया है-1. अनीश्वरवाद 2. अनात्मवाद 3. क्षणिकवाद।
16.
आज से २५०० वर्ष पूर्व बुद्धद्वारा प्रतिपादित अनात्मवाद, प्रतीत्य-समुत्पाद आदि पर मोग्गलिपुत्ततिस्स (त़्अतीय शताब्दी ईसवी पूर्व) से लेकरकमल-शील (८५० ई.
17.
उन्होंने इसे ‘ अनात्मवाद ' कहा. बुद्ध का दर्शन समस्त घटनाओं की क्षण भंगुरता पर विश्वास करता था.
18.
आत्मवाद के वर्णमूलक सरोकार के वरक्स उसी दौर में बौद्धों का अनात्मवाद जनजातियों के दमन के खिलाफ समतामूलक सरोकारों के साथ सामने आ रहा था।
19.
चार आर्यसत्य, अनित्यता, दु: खता, अनात्मता क्षणभङ्गवाद, अनात्मवाद, अनीश्वरवाद आदि बौद्धों के प्रसिद्ध दार्शनिक सिद्धान्त इसी प्रतीत्यसमुत्पाद के प्रतिफलन हैं।
20.
यह बृहस्पति शुक्र का स्वरूप धारण कर इन्द्र का सरंक्षण एवं दानवों का विनाश करने के उद्देश्य से अनात्मवाद या प्रपंच विज्ञान की संरचना करता है।