सरल: आपका जी क्या यहाँ है, आपका चित्त तो वहाँ है जहाँ समुद्र में आप के सौदागरी के भारी जहाज बड़ी बड़ी पाल उड़ाए हुए धनमत्त लोगों की भाँति डगमगी चाल से चल रहे होंगे और वरुण देवता के विमान की भाँति झूमते और आस पास की छोटी छोटी नौकाओं की ओर दयादृष्टि से देखते आते होंगे और वे बेचारियाँ भी अपने छोटे-छोटे परों से उड़ती हुई और सिर झुका झुकाकर बारंबार उनको प्रणाम करती किसी तरह से लगी बुझी उनका अनुगम करती चली आती होंगी।