अब राजा बनने की एक मात्र योग्यता पूर्ववर्ती राजा का ज्येष्ठ पुत्र रह गयी और राजा बनने का एकमात्र कार्य ब्राह्मणों की आज्ञा को शिरोधार्य करते हुए उनकी अनुगामिता और इसी विषाक्त मानसिकता की भूमि पर धर्म का बीजारोपण होता है जो बात तो करता है मानव के समग्र कल्याण की, आत्मिक चेतना के विकास की और प्रावधान ऐसा करता है कि अधिसंख्य मानव-समुदाय न केवल हाशिये पर पहुँच गया बल्कि दलित और स्त्री तो मनुष्य होने से वंचित हो गये।