तकलीफ होती है जब इस दृष्टिकोण से सोचिये किन्तु फिर जब इनके द्वारा अपने अधिकारों और मांगों के लिए ज्यादति की जाती है, जैसे शादी विवाह आदि अवसरों पर बेहिसाब अनुचित माँग (हम तो २१००० से कम में नहीं मानेंगे) और इसे पूरा कराने के लिए धमकी से लेकर बेइज्जत तक करने वाली बातों को देखकर अफसोस भी होता है.इसके बावजूद भी इनकी विकलांगता और मजबूरी निश्चित ही दिल दुखाती है.