पूर्ण अनुनासिक ध्वनि (जैसे ' माँ ' ' भँवरा ' में) एवं अपूर्ण अनुनासिक ध्वनि (जैसे ' गंगा ' में)-इन दोनों के लिए फारसी / अरबी लिपि में सिर्फ ' नून ' अक्षर है ।
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चूँकि अब “ ङ ” और “ ञ ” प्रायः सभी “ की बोर्ड ” से बाहर हैं और इनकी अनुनासिक ध्वनि अनुस्वार से काफ़ी निकटतम रूप से व्यक्त हो सकती है, इसलिए “ कवर्ग ” और “ चवर्ग ” के शब्दों जैसे गंगा, पंजाब, चंचल आदि शब्दों का सही उच्चारण अनुस्वार से निकल सकता है.
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इसी तरह “ तवर्ग ” के शब्दों में आधा “ न ” से अनुनासिक ध्वनि आयेगी. जैसे: अन्त, चिन्ता, मन्थर, कन्द, मन्द, अन्धड़, बन्धन, सन्देह आदि. “ पवर्ग ” से बनने वाले शब्दों में आधा “ म ” से अनुनासिक ध्वनि आयेगी. जैसे कम्पन, चम्बल, कम्बल, दम्भ, चम्पा, खम्भा आदि. अब “ सम्बन्ध ” शब्द को लें.
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इसी तरह “ तवर्ग ” के शब्दों में आधा “ न ” से अनुनासिक ध्वनि आयेगी. जैसे: अन्त, चिन्ता, मन्थर, कन्द, मन्द, अन्धड़, बन्धन, सन्देह आदि. “ पवर्ग ” से बनने वाले शब्दों में आधा “ म ” से अनुनासिक ध्वनि आयेगी. जैसे कम्पन, चम्बल, कम्बल, दम्भ, चम्पा, खम्भा आदि. अब “ सम्बन्ध ” शब्द को लें.