हज़रत अबूबक्र ने हज़रत उमर को आदेश दिया कि जो लोग हज़रत फातिमा के घर में हैं यदि वे बाहर न निकलें और मेरा अनुयायी होना स्वीकार न करें तो उन्हें क़त्ल कर दो.
12.
गहरी और तात्त्विक उपासना करनी हो, तो मैं आपसे कल भी निवेदन कर रहा था और आपसे आज भी जोरदार शब्दों में निवेदन करूँगा कि आपको भक्तियोग का अनुयायी होना चाहिए और आपको ज्ञानयोग का अनुयायी होना चाहिए।
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गहरी और तात्त्विक उपासना करनी हो, तो मैं आपसे कल भी निवेदन कर रहा था और आपसे आज भी जोरदार शब्दों में निवेदन करूँगा कि आपको भक्तियोग का अनुयायी होना चाहिए और आपको ज्ञानयोग का अनुयायी होना चाहिए।
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आपका सनातन धर्म / हिंदू धर्म का अनुयायी होना ही कांग्रेस को वोट नही देने के तर्क के लिए काफी है क्योकि कांग्रेस ने जन्म से लेकर आज तक सिर्फ हिंदू धर्म के विनाश का ही साजिश किया और हिंदुत्व के विनाश को अंजाम दिया-
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बिना खिलाफत राम राज नहीं आयेगा वाह वैसे एक शंका भी है “शब्दों के सफर” में खिलाफत का अर्थ किसी के मार्ग का अनुयायी होना बताया गया है और ये खलीफा के अनुयायी शब्द से बना है और आपने यहाँ इसका प्रयोग बगावत के अर्थ में किया है:)
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वास्तव में उपयोतिगतावाद का पूर्णत: तर्कसम्मत एवं स्थायी अनुयायी होना कुछ सरल नहीं, फिर भी सिद्धांत तथा व्यवहार में सामंजस्य स्थापित करने के प्रयत्न के कारण और जीवतत्व के लिए स्वस्थ तथा नैतिक अच्छाई का मार्ग निर्दिष्ट करनेवाले आनंद को मनुष्य के स्वाभाविक मार्गदर्शन के रूप में प्रतिष्ठित करने के कारण उपयोगितावाद कुछ आकर्षण रखता है और एतदर्थ सामान्य भी है।
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वास्तव में उपयोतिगतावाद का पूर्णत: तर्कसम्मत एवं स्थायी अनुयायी होना कुछ सरल नहीं, फिर भी सिद्धांत तथा व्यवहार में सामंजस्य स्थापित करने के प्रयत्न के कारण और जीवतत्व के लिए स्वस्थ तथा नैतिक अच्छाई का मार्ग निर्दिष्ट करनेवाले आनंद को मनुष्य के स्वाभाविक मार्गदर्शन के रूप में प्रतिष्ठित करने के कारण उपयोगितावाद कुछ आकर्षण रखता है और एतदर्थ सामान्य भी है।
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वास्तव में उपयोतिगतावाद का पूर्णत: तर्कसम्मत एवं स्थायी अनुयायी होना कुछ सरल नहीं, फिर भी सिद्धांत तथा व्यवहार में सामंजस्य स्थापित करने के प्रयत्न के कारण और जीवतत्व के लिए स्वस्थ तथा नैतिक अच्छाई का मार्ग निर्दिष्ट करनेवाले आनंद को मनुष्य के स्वाभाविक मार्गदर्शन के रूप में प्रतिष्ठित करने के कारण उपयोगितावाद कुछ आकर्षण रखता है और एतदर्थ सामान्य भी है।
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Daniel जी नमस्ते, बहुत अच्छा लगा यह जानकर कि आप सच में जितेन्द्र हो चुके हैं, क्रोध एवं अहंकार पर विजय प्राप्त कर लेना निश्चय ही एक दुर्लभ चमत्कार है, जब आप प्रायोगिक धर्म दर्शन के रास्ते इस ऊँचाई को प्राप्त कर ही चुके हैं तो निस्संदेह आपको इश्वरशास्त्र का भी भान होगा, और निश्चित रूप से ऐसी चारित्रिक पूंजी को प्राप्त कर लेने के बाद भी आपका प्रकाशित इश्वरशास्त्र का अनुयायी होना उचित नहीं लगता, बेहतर होता यदि आप प्राकृतिक इश्वरशास्त्री होते, धन्यवा द.