कृष्ण नगर में संपन्न हुई चारो अनुयोग वचन 26 जनवरी को परम पूज्य राष्
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अतः जैन दार्शनिकोें ने अनुयोग पद्धति, स्याद्वाद एवं अनेकंातवाद की एक कुन्जी बनाई है।
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तब से निरंतर इसमें प्रकाशित 4 अनुयोग, लिखित लेख, विभिन्न समाचार के माध्यम से लाखों&
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फिर सूत्र 45 से ग्रन्थान्त तक कृति अनेयागद्वार का विभिन्न अनुयोग द्वारों से प्ररूपण है।
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प्रमाण, नय एवं भेद-विज्ञान द्वारा इस अनुयोग में ‘ वस्तु-स्वरुप ' का तर्कसंगत निरुपण किया गया है।
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मैंने कहा बिना प्रथमानुयोग के अन्य अनुयोग हो ही नहीं सकते जैसे गिनती में एक के बिना [...]
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(ङ) जैन ग्रन्थ ‘ अनुयोग द्वार ' में ‘ असंख्येय ' का मान 10 ऊपर 140 तक सामने आता है।
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तब से निरंतर इसमें प्रकाशित 4 अनुयोग, लिखित लेख, विभिन्न समाचार के माध्यम से लाखों भक्तों की की राह रोशन कर रहे हैं..
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अंग्रेजी डिक्शनरी तथा अन्य भाषाओं में निर्मित कोशकारों के रचना-विधान-मूलक वैशिष्टयों का अध्ययन करने से अद्यतन कोशों में निम्ननिर्दिष्ट बातों का अनुयोग आवश्यक लगता है-
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आज रोमन वर्णमाला को अनेक सांकेतिक चिह्नों (डायक्रिटिकल मार्क्स) और नवलिपिसंकेतों के अनुयोग द्वारा, सर्वभाषालेखन के उद्देश्य से पूर्णतम बनाने की चेष्टा की गई/जाती है।