अनुलोम विवाह-अनुलोम उस विवाह को कहते है, जिसमें उच्च कुल का पुरूष निम्न कुल की स्त्री से विवाह करता है ।
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अनुलोम विवाह से उत्पन्न संतान के विषय में ऐसा सामान्य मत जान पड़ता है कि उसे माता के वर्ण के अनुरूप मानते हैं।
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1. अनुलोम विवाह-अनुलोम उस विवाह को कहते है, जिसमें उच्च कुल का पुरूष निम्न कुल की स्त्री से विवाह करता है ।
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कामज विवाह अन्य जाति की स्त्रियों के साथ दूसरे युगों में हो सकता था किन्तु वह अनुलोम विवाह हो सकता था, प्रतिलोम नहीं।
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प्राय: धर्मशास्त्रों की परीक्षा इसी सिद्धांत का प्रतिपादन करती है कि अनुलोम विवाह ही शास्त्रकारों को मान्य थे, यद्यपि दोनों प्रकार के दृष्टांत स्मृतिग्रंथों में मिलते हैं।
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सूत का पिता क्षत्रिय और माता ब्राह्मण होती है. सारांश यहहै कि बंदी को अनुलोम विवाह का परिणाम, और मागघ तथा सूत को प्रतिलोम विवाह कापरिणाम समझना चाहिए.
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विवाह के अन्य नियम: 1. अनुलोम विवाह-अनुलोम उस विवाह को कहते है, जिसमें उच्च कुल का पुरूष निम्न कुल की स्त्री से विवाह करता है ।
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उसी प्रकार लगातार कई पीढ़ियों तक अनुलोम विवाह (जिसमें लड़का ऊंची जाति का और लड़की नीची जाति की होती हैं) होते रहने से जात्यपकर्ष, यानी नीची जाति में संक्रमण हो जाता है।
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ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार राशियों के इस अनुलोम विवाह में वैवाहिक जीवन सुखमय रहने की संभावना कम रहती है अर्थात पति पत्नी में सामंजस्य की कमी रहती है इस तरह की समस्या से बचने के लिए ही कुण्डली (
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ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार राशियों के इस अनुलोम विवाह में वैवाहिक जीवन सुखमय रहने की संभावना कम रहती है अर्थात पति पत्नी में सामंजस्य की कमी रहती है इस तरह की समस्या से बचने के लिए ही कुण्डली (Birth Chart) में अष्टकूट (Astkut) मिलान करते समय राशियों के वर्ण (Cast) का विचार किया जाता है।