इसी प्रसंग में फ्रेडरिक जेम्सन ने लिखा, ‘‘ तर्कमूलक संघर्ष (जैसा कि यह सीधी वैचारिक लड़ाई के विरुध्द है) अपने विकल्पों की साख समाप्त करके और थीमैटिक प्रसंगों की एक पूरी श्रृंखला को अनुल्लेखनीय घोषित करके सफलता हासिल करता है।
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(ज्ञानेन्द्रपति ने तो अपनी स्वाभाविक चतुराई से कारा कल्याण अधिकारी के पद पर दस साल काम करके और कुछ अन्य अनुल्लेखनीय तरीकों से ‘ कविता का कार्यकर्ता ' बनने के लिए पेंशन आदि का जुगाड़ कर लिया और यूँ भी वह अत्यन्त सम्पन्न परिवार से है), लेकिन प्रभात हिन्दी कवियों की पुरानी परम्परा को भी एक क़दम आगे बढ़ाने के फेर में था।