पारे का मिलीमीटर) है. उदाहरण के लिए, सामान्य दाब को 120 बटा 80 लिखा जाता है, जहां 120 प्रकुंचन पाठ्यांक और 80 अनुशिथिलक पाठ्यांक है.
12.
प्रकुंचन और अनुशिथिलक धमनीय रक्त-चाप स्थिर नहीं होते हैं, किन्तु एक से दूसरे धड़कन के बीच और दिन भर (जैव-चक्रीय आवर्तन में) स्वाभाविक घट-बढ़ होता रहता है.
13.
रक्त-चाप मापने की मानक इकाई mmHg (पारे का मिलीमीटर) है. उदाहरण के लिए, सामान्य दाब को 120 बटा 80 लिखा जाता है, जहां 120 प्रकुंचन पाठ्यांक और 80 अनुशिथिलक पाठ्यांक है.
14.
विशेष प्रकार के अल्ट्रासाउंड उपकरणों से नाभ्य धमनी में कम / अनुपस्थित/विपरीत या अनुशिथिलक रक्त प्रवाह का पता लगाने के लिए नाभ्य रज्जु में रक्त प्रवाह वेग का भी मूल्यांकन किया जा सकता है.
15.
एक आरामदेह, स्वस्थ वयस्क आदमी के लिए सामान्यतः मापे गए मान का उदाहरण है 115 mmHg प्रकुंचन और 75 mmHg अनुशिथिलक (जिसे 115/75 mmHg लिखा और (US में) “एक सौ पंद्रह बटे पचहत्तर ” कहा जाता है.)नाड़ी दबाव, प्रकुंचन और अनुशिथिलक दाब के बीच का अंतर है.
16.
एक आरामदेह, स्वस्थ वयस्क आदमी के लिए सामान्यतः मापे गए मान का उदाहरण है 115 mmHg प्रकुंचन और 75 mmHg अनुशिथिलक (जिसे 115/75 mmHg लिखा और (US में) “एक सौ पंद्रह बटे पचहत्तर ” कहा जाता है.)नाड़ी दबाव, प्रकुंचन और अनुशिथिलक दाब के बीच का अंतर है.
17.
प्रकुंचन और अनुशिथिलक धमनीय रक्त-चाप स्थिर नहीं होते हैं, किन्तु एक से दूसरे धड़कन के बीच और दिन भर (जैव-चक्रीय आवर्तन में) स्वाभाविक घट-बढ़ होता रहता है.ये तनाव, पोषक तत्त्व, दवाई, बीमारी, कसरत, और एकदम खडे होने आदि से भी परिवर्तित होते हैं.कभी-कभी बहुत अधिक घट-बढ़ होता है.
18.
पर आजकल यह जान लिया गया है कि दोनों, उच्च प्रकुंचन दाब और उच्च नाड़ी दाब (प्रकुंचन और अनुशिथिलक दाब के बीच का संख्यात्मक अंतर) भी जोखिम कारक हैं.कुछ मामलों में, अत्यधिक अनुशिथिलक दाब में कमी भी वास्तव में जोखिम को बढ़ा सकती है, ऐसा संभवतः प्रकुंचन और अनुशिथिलक दाब के बीच का अंतर बढ़ने से हो सकता है (देखें नाड़ी दाब पर लेख).
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पर आजकल यह जान लिया गया है कि दोनों, उच्च प्रकुंचन दाब और उच्च नाड़ी दाब (प्रकुंचन और अनुशिथिलक दाब के बीच का संख्यात्मक अंतर) भी जोखिम कारक हैं.कुछ मामलों में, अत्यधिक अनुशिथिलक दाब में कमी भी वास्तव में जोखिम को बढ़ा सकती है, ऐसा संभवतः प्रकुंचन और अनुशिथिलक दाब के बीच का अंतर बढ़ने से हो सकता है (देखें नाड़ी दाब पर लेख).
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पर आजकल यह जान लिया गया है कि दोनों, उच्च प्रकुंचन दाब और उच्च नाड़ी दाब (प्रकुंचन और अनुशिथिलक दाब के बीच का संख्यात्मक अंतर) भी जोखिम कारक हैं.कुछ मामलों में, अत्यधिक अनुशिथिलक दाब में कमी भी वास्तव में जोखिम को बढ़ा सकती है, ऐसा संभवतः प्रकुंचन और अनुशिथिलक दाब के बीच का अंतर बढ़ने से हो सकता है (देखें नाड़ी दाब पर लेख).