ये “ग्वासी ” कहानी की अन्तर्निहित शक्ति है जो प्रवाही भाषा के सहारे तटस्थता के प्रतीक मेँ समूचे जीवन का सार दीखला जाती है. “ रेत पर त्रिकोण ” 'रेलचलितमानस' और 'वज़न” ये अन्य ३ कथाएँ हैँ जिनमेँ से अँतिम दो हास्य व्यँग लिये हुए हैँ जिन्हेँ पाठक अवश्य पसँद करेँगेँ और तीन कोणोँ को सीधी रेखाओँ से जोडती कहानी, तीन मित्रोँ के सँघर्ष, उनके अपने नजरियोँ को उजागर करती हुई कथा है-नीरज और सचिन, लेखक के मित्र हैँ जिनसे ये त्रिकोण पूर्ण बनता है.
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ये “ ग्वासी ” कहानी की अन्तर्निहित शक्ति है जो प्रवाही भाषा के सहारे तटस्थता के प्रतीक मेँ समूचे जीवन का सार दीखला जाती है. “ रेत पर त्रिकोण ” ' रेलचलितमानस ' और ' वज़न ” ये अन्य ३ कथाएँ हैँ जिनमेँ से अँतिम दो हास्य व्यँग लिये हुए हैँ जिन्हेँ पाठक अवश्य पसँद करेँगेँ और तीन कोणोँ को सीधी रेखाओँ से जोडती कहानी, तीन मित्रोँ के सँघर्ष, उनके अपने नजरियोँ को उजागर करती हुई कथा है-नीरज और सचिन, लेखक के मित्र हैँ जिनसे ये त्रिकोण पूर्ण बनता है.