48 संस्कारों में कुछ के ारा शारीरिक और मानसिक मल, पाप, अज्ञान आदि का अपनयन और कुछ के द्वारा पवित्रता, शुद्धि, विद्या आदि की अतिशयता का प्रयास किया जाता है।
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48 संस् कारों में कुछ के ारा शारीरिक और मानसिक मल, पाप, अज्ञान आदि का अपनयन और कुछ के द्वारा पवित्रता, शुद्धि, विद्या आदि की अतिशयता का प्रयास किया जाता है।
13.
भगवान बुद्ध के परिनिर्वाण के अनन्तर बुद्धवचनों में प्रक्षेप (अन्य वचनों को डाल देना) और अपनयन (कुछ बुद्धवचनों को हटा देना) न होने देने के लिए क्रमश: तीन संगीतियों का आयोजन किया गया।
14.
अपनयन पटरी तथा रज्जु की स्थिति में इस प्रकार का प्रबंध रहता है कि डोल को एक से दूसरे पर भेजने में बड़ी सुगमता होती है और रज्जु पर रंच मात्र भी झटका नहीं पड़ता; यह रज्जु के टिकाऊ (दीर्घजीवी) होने के लिए बहुत आवश्यक है।