नदियों के देश कहे जाने वाले भारत में मुख्यतः 4 नदी प्रणालियाँ है (अपवाह तंत्र) हैं।
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राजस्थान के उत्तर-पष्चिम में आंतरिक अपवाह तंत्र वाले भागों में नदियों के आसपास भूरी-रेतीली कच्छारी मिट्टी पाई जाती है।
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देखें मुख्य लेख भारत के अपवाह तंत्र भारत की नदियो को निम्न अपवाह तन्त्र मे बाटा जा सकता है ।
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द्रुमाकृतिक प्रतिरूप अपवाह तंत्र का वह रूप है जिसमें अपवाह तन्त्र पेड़ के तने के समान विकसित होता हैं जिसमे अनेक शाखाएं एवं प्रशाखाएं निकलती है।
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इस प्रकार गठित नदियों का नेटवर्क एक अपवाह तंत्र है और अक्सर वृक्षनुमा होता है, लेकिन अंतर्निहित भूविज्ञान और स्थानीय स्थलाकृति के आधार पर अन्य स्वरूप भी धारण कर सकता है.
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इस क्षेत्र में दो अपवाह तंत्र हैं नर्मदा, ताप्ती व माही (अरब सागर अपवाह) और चंबल व बेतवा, जो यमुना (बंगाल की खाड़ी अपवाह) से मिलतीं हैं।
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अपवाह तंत्र का आरंभिक मूल इस अनोखे तथ्य को स्पष्ट करता है कि प्रमुख नदियाँ न केवल उच्च हिमालय की दक्षिणी ढालों को, बल्कि एक विशाल सीमा तक इसकी उत्तरी ढालों को भी अपवाहित करती हैं, क्योंकि जल-विभाजक क्षेत्र शीर्ष रेखा के उत्तर में स्थित है।