मूल पद्धतियों के लिये आवश्यक अनुशासन की उच्च मात्रा अक्सर अपने मार्ग से भटक जाती थी, जिससे इनमें से कुछ पद्धतियों, जो बहुत सख्त प्रतीत हुईं, की आलोचना की गई या उन्हें उनके स्थानों पर अपूर्ण अवस्था में ही छोड़ दिया गया.
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मूल पद्धतियों के लिये आवश्यक अनुशासन की उच्च मात्रा अक्सर अपने मार्ग से भटक जाती थी, जिससे इनमें से कुछ पद्धतियों, जो बहुत सख्त प्रतीत हुईं, की आलोचना की गई या उन्हें उनके स्थानों पर अपूर्ण अवस्था में ही छोड़ दिया गया.
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ऐसे सिद्धान्त के अनुसार आचरण कर के हम बौद्धिक जनों का एक आदर्श समाज बना सकेंगे, और ऐसे समाज को बनाने के लिए बस हमें ऐसे व्यवहार करना है जैसे हम पहले ही से उसके हिस्से हों; सम्पूर्ण नियम को हमें अपूर्ण अवस्था में ही लागू करना होगा।
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ऐसे सिद्धान्त के अनुसार आचरण कर के हम बौद्धिक जनों का एक आदर्श समाज बना सकेंगे, और ऐसे समाज को बनाने के लिए बस हमें ऐसे व्यवहार करना है जैसे हम पहले ही से उसके हिस्से हों ; सम्पूर्ण नियम को हमें अपूर्ण अवस्था में ही लागू करना होगा।