उसने किया तो बस यह कि अपने लिए एक छोटी सी भूमिका चुन ली और उसे किसी प्रतिदान की अपेक्षा के बिना निभाता रहा.
12.
किसी दुन्यवी वस्तु की अपेक्षा के बिना, सिर्फ परमात्मा का प्रेम पाने के लिए प्रार्थना करनेवाले को परमात्मा कहेते हैं-” मेरी शरण में आ जा ।
13.
सभी के साथ मेरा व्यवहार, अधिक से अधिक अच्छा करुं, मेरी फर्ज किसी अपेक्षा के बिना अदा करुं, ऐसा शुभ संकल्प जन्माष्टमी के दिन करेंगे तो वह उचित होगा ।
14.
लेकिन जब मानवी फल की किसी अपेक्षा के बिना, सिर्फ अपने कर्तव्य के रुप से कर्म करता है और वह कर्म परमात्मा के चरनों में अर्पित कर देता है, तो वह कर्म बंधनकारक नहीं होता ।
15.
-सपूत हो तब माँ छाया बनी रहती है, दीपक कि बाती बन कर जलती खपती रहती है, अपनी ग्रुहस्थी मे व्यस्त रहती है, किसी अपेक्षा के बिना प्रयास करती है कि, वो आगामी पीढी को सक्षम बनाये-
16.
-सपूत हो तब माँ छाया बनी रहती है, दीपक कि बाती बन कर जलती खपती रहती है, अपनी ग्रुहस्थी मे व्यस्त रहती है, किसी अपेक्षा के बिना प्रयास करती है कि, वो आगामी पीढी को सक्षम बनाये-
17.
-सपूत हो तब माँ छाया बनी रहती है, दीपक कि बाती बन कर जलती खपती रहती है, अपनी ग्रुहस्थी मे व्यस्त रहती है, किसी अपेक्षा के बिना प्रयास करती है कि, वो आगामी पीढी को सक्षम बनाये-
18.
थैंक्स की अपेक्षा के बिना भी कुछ अच्छा करके तो देखिए हम किसी की मदद करें और बदले में वह हमें थैंक्स तक न कहे तो हम मन ही मन कुढ़ते रहते हैं और मौका मिलते ही उसे खरी-खोटी सुनाने में देर नहीं करते।
19.
यह ठीक है कि थैंक्स की अपेक्षा के बिना भी सबकी मदद करना हमारा स्वभाव होना चाहिए लेकिन इसका मतलब यह भी नहीें कि हमें यदि शुगर के कारण मीठे से परहेज करना पड़ रहा है तो मेहमान को भी फीकी चाय ही पिलाएं।
20.
यह ठीक है कि थैंक्स की अपेक्षा के बिना भी सबकी मदद करना हमारा स्वभाव होना चाहिए लेकिन इसका मतलब यह भी नहीें कि हमें यदि शुगर के कारण मीठे से परहेज करना पड़ रहा है तो मेहमान को भी फीकी चाय ही पिलाएं।