मूर्छा भंग होने पर मृतप्राय से महाराज अस्फुट स्वर में कहने लगे, “सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में मैं सबसे बड़ा अभागा व्यक्ति हूँ जिसके दो-दो पुत्र एक साथ वृद्ध पिता को बिलखता छोड़कर वन को चले गये।
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“ पर नदी पार करने का दूसरा कोई उपाय भी तो नहीं! देखते नहीं, सिपाही मेरा पीछा कर रहे हैं? ” यह कहते हुए वह अभागा व्यक्ति पुनः लकड़ी के टुकड़े की ओर बढ़ा।
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मूर्छा भंग होने पर मृतप्राय से महाराज धीरे-धीरे अस्फुट स्वर में कहने लगे, ” सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में मैं सबसे बड़ा अभागा व्यक्ति हूँ जिसके दो-दो पुत्र एक साथ वृद्ध पिता को बिलखता छोड़कर वन को चले गये।