हबल के अभिरक्त विस्थापन का उपयोग कर किसी भी परिक्रमा रत पिण्ड का वेग जाना सकता है, और उस वेग का सन्तुलन करने के लिये आवश्यक गुरुत्वाकर्षण बल की गणना की जा सकती है।
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हबल के अभिरक्त विस्थापन का उपयोग कर किसी भी परिक्रमा रत पिण्ड का वेग जाना सकता है, और उस वेग का सन्तुलन करने के लिये आवश्यक गुरुत्वाकर्षण बल की गणना की जा सकती है।
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उदाहरण के लिए सितारों के एंग्यूलर डायामीटर्स निकालने की नयी विधि तथा हाल ही में वुल्फ प्रभाव का क्वाजार-गैलैक्सी युग्म द्वारा प्रदर्शित अभिरक्त विस्थापन विवाद को सुलझाने के लिए विश्व में किया गया प्रथम प्रयोग आदि।
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इस सिद्धान्त के निर्माण के लिये कुछ मूलभूत मान्यताओं से प्रारम्भ करते हैं ; कि एड्विन हबल के अभिरक्त विस्थापन के अवलोकनों के आधार पर ब्रह्माण्ड का प्रसार हो रहा है, तथा दूरी के अनुपात में तीव्रतर होता जाता है।