सम्वत् १५५४ विक्रमी की श्रावण सप्तमी के दिन इसी दम्पति की कोख से अभुक्त मूल नक्षत्र में रामबोला-तुलसीदास-का जन्म हुआ।
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भाव अगर किसी अनतिक्रमित ग्लेशियर का अभुक्त, अपरिमित और अबाध जल है तो भाषा उसकी क्वांटिटेटिव और कमर्शियल पैकेजिंग मात् र..
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अपने पूर्वाग्रहों और ज्योतिषीय विश्वासों के तहत वे इसे अभुक्त मूल नक्षत्र का प्रभाव मानते रहे, जो एक खयाल मात्र था.
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सम्वत् १ ५५ ४ विक्रमी की श्रावण सप्तमी के दिन इसी दम्पति की कोख से अभुक्त मूल नक्षत्र में रामबोला-तुलसीदास-का जन्म हुआ।
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तुलसी के जन्मते ही उनके अभुक्त मूल नक्षत्र में पैदा होने के कारण, माँ-बाप के लिए मनहूस सन्तान समझ, पिता आत्माराम उनको त्योग देते हैं।
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' इन वचनों के अनुसार यह जनश्रुति चल पड़ी कि गोस्वामी जी अभुक्त मूल में उत्पन्न हुए थे, इससे उनके माता पिता ने उन्हें त्याग दिया था।
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अभुक्त मूल: ज्येष्ठा नक्षत्र के अंत की एक घटी (24 मिनट) तथा मूल नक्षत्र की प्रथम एक घटी (24 मिनट) अभुक्त मूल कहलाती है।
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अभुक्त मूल: ज्येष्ठा नक्षत्र के अंत की एक घटी (24 मिनट) तथा मूल नक्षत्र की प्रथम एक घटी (24 मिनट) अभुक्त मूल कहलाती है।
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संवत् १५५४ के श्रावण मास के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि के दिन अभुक्त मूल नक्षत्र में इन्हीं भाग्यवान दम्पति के यहाँ इस महान आत्मा ने मनुष्य योनि में जन्म लिया।
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संवत् 1554 की श्रावण शुक्ल सप्तमी के दिन अभुक्त मूल नक्षत्र में इन्हीं भाग्यवान दम्पति के यहाँ बारह महीने तक गर्भ में रहने के पश्चात गोस्वामी तुलसीदासजी का जन्म हुआ।