इससे विभिन्न बाजारों में अमुक्त उत्पाद का दाम, उसकी गुणवत्ता आदि, अनेक वेषयों की जानकारी हासिल कर सकते हैं।
12.
सैन्य अस्त्र शस्त्र:-प्राचीन ग्रंथों में मुक्त, अमुक्त, मुक्तामुक्त और मन्त्रमुक्त चार प्रकार के अस्त्रशस्त्रों का उल्लेख मिलता है।
13.
मुद्राधिकार क़ानूनों के अंतर्गत कुछ अमुक्त सामग्री का सीमित न्यायोचित प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन हर संभव प्रयत्न कीजिये के केवल मुक्त सामग्री ही विकिपीडिया में प्रयोग करें।
14.
न्य प्रवृत्त दोष • साकांक्षा दोष • अमुक्त दोष • प्रसिद्ध दोष • विद्या विरुद्ध दोष • प्रकाशित विरुद्ध दोष • सहचरभिन्न दोष • अश्लीलार्थ दोष • त्यक्तपुनःस्वीकृत दोष •
15.
उत्तर:-अमुक्त माल्यद 7-अकबर ने जजिया नामक कर (गैर मुस्लिम जनता से व्यक्ति कर के रूप में वसूला जाता था) किस वर्ष बाद बन्द करवाया।
16.
बनाओ जारवा-पुत्र क्या तुम्हारा कोई वास्ता है आदिम बनाम आक्रान्ताओं के चतुर्युगीय संघर्षों की दास्तान से उनके एकपक्षीय गौरवगान से जिसे सुनकर अभी भी चैंक पड़ते हैं-बाली और शम्बूक के रक्त-रंजित अमुक्त प्रेत और प्रश्न बन खड़ा होता है द्रोणाचार्य के काँपते हाथों में खून से लथपथ एकलव्य का-तड़पड़ाता अँगूठा?
17.
गहरी कृष्णवर्ण पृष्ठभूमि में निहित प्राइवेसी / गोपनीयता / अमुक्त अनिश्चित सत्य की तुलना में काव्य संकलन शीर्षक और कवि के नाम का धवलवर्णी प्राकट्य और रक्तवर्णी दो बिंदुओं का छोटा सा संयोजन कहता है कि कवि सायास ही ज्यादातर अव्यक्त (श्यामवर्ण) रहते हुए केवल दो रंगों की शब्द / रेखीय लघुता में नियोजित ढंग से प्रकट / अभिव्यक्त होता है!
18.
मेरी इस कशमकश के साक्ष्य बतौर आप काव्य संकलन के कलेवर की सज्जा / आवरण पृष्ठ के रंग संयोजन पे गौर फरमाइये! गहरी कृष्णवर्ण पृष्ठभूमि में निहित प्राइवेसी / गोपनीयता / अमुक्त अनिश्चित सत्य की तुलना में काव्य संकलन शीर्षक और कवि के नाम का धवलवर्णी प्राकट्य और रक्तवर्णी दो बिंदुओं का छोटा सा संयोजन कहता है कि कवि सायास ही ज्यादातर अव्यक्त (श्यामवर्ण) रहते हुए केवल दो रंगों की शब्द /रेखीय लघुता में नियोजित ढंग से प्रकट / अभिव्यक्त होता है!
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मेरी इस कशमकश के साक्ष्य बतौर आप काव्य संकलन के कलेवर की सज्जा / आवरण पृष्ठ के रंग संयोजन पे गौर फरमाइये! गहरी कृष्णवर्ण पृष्ठभूमि में निहित प्राइवेसी / गोपनीयता / अमुक्त अनिश्चित सत्य की तुलना में काव्य संकलन शीर्षक और कवि के नाम का धवलवर्णी प्राकट्य और रक्तवर्णी दो बिंदुओं का छोटा सा संयोजन कहता है कि कवि सायास ही ज्यादातर अव्यक्त (श्यामवर्ण) रहते हुए केवल दो रंगों की शब्द / रेखीय लघुता में नियोजित ढंग से प्रकट / अभिव्यक्त होता है!