ईश्वरी रावल अपने मालवी रंगों में अपने अमूर्त चित्र के साथ, बीआर बोदड़े अपनी अमूर्त शैली में प्रयोगशीलता के साथ तो प्रभु जोशी जलरंगों में अपनी दक्षता के साथ मौजूद हैं।
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यह कलाकार अपने अमूर्त शैली के चित्रों से (या कभी इस भित्तिचित्र जैसे बड़े बड़े स्मारकों से भी) पहचाना जाता है, और जापान में काफ़ी व्यापक रूप से प्रसिद्ध रहा है, ख़ासकर जिसका कुछ “ विलक्षण ” चरित्र की छवि के लिए (मिसाल के तौर पर, उसका एक मशहूर वचन है “ कला होती है धमाका! ”).
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यह कलाकार अपने अमूर्त शैली के चित्रों से (या कभी इस भित्तिचित्र जैसे बड़े बड़े स्मारकों से भी) पहचाना जाता है, और जापान में काफ़ी व्यापक रूप से प्रसिद्ध रहा है, ख़ासकर जिसका कुछ “विलक्षण” चरित्र की छवि के लिए (मिसाल के तौर पर, उसका एक मशहूर वचन है “कला होती है धमाका!”). यह भित्तिचित्र मूलतः १९६९ में जब बनाया गया था, तब इसको मेक्सिको के एक होटल में स्थापित होना था.