महामाष (निरामिष): पक्षघात (लकवा), हनुस्तम्भ, अर्दित, पंगुता, शिरोग्रह मन्यास्तम्भ, कर्णनाद तथा अनेक प्रकार के वात रोगों पर लाभकारी।
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इससे अर्धांगवात (शरीर के आधेभाग पर लकवा होना), अर्दित (एक प्रकार का रोग है, जिसमें रोगी का मुंह टेढ़ा हो जाता है) सुन्नपन आदि में विशेष लाभ होता है।
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आक के दूध को कांच या चीनी के बर्तन में रखकर, उसमें मालकांगनी का तेल मिलाकर मालिश करने से अर्धागवात, अर्दित, सुन्नपन आदि में विशेष लाभ होता है।
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लगभग आधा ग्राम वच का चूर्ण और लगभग आधा ग्राम शुंठी का चूर्ण दोनों को शहद में मिलाकर दिन में 2 से 3 बार चाटने से अर्दित रोग (वह रोग जिसमें रोगी का मुंह टेढ़ा हो जाता हैं), यानि मुंह का लकवा खत्म होता है।
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जब मनुष्य के मुख का आधा भाग काम करना बन्द कर दे तो उसे मुंह का लकवा या उसे अर्दित कहा जाता है जो लोग अधिक तेज बोलते हैं और गरिष्ठ भोजन खाते हैं तथा भारी वजन उठाने का कार्य करते हैं उन लोगों को मुंह का लकवा होने की अधिक संभावना होती है।
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इससे 80 प्रकार के वात रोग जैसे-पक्षाघात (लकवा), अर्दित (मुँह का लकवा), गृध्रसी (सायटिका), जोड़ों का दर्द, हाथ पैरों में सुन्नता अथवा जकड़न, कम्पन, दर्द, गर्दन व कमर का दर्द, स्पांडिलोसिस आदि तथा दमा, पुरानी खाँसी, अस्थिच्युत (डिसलोकेशन), अस्थिभग्न (फ्रेक्चर) एवं अन्य अस्थिरोग दूर होते हैं।