इन व्यंजन ध्वनियों के अतिरिक्त हिन्दी में दो अर्धस्वर / य्/ एवं /त्/ भी है जिनके लिए क्रमशः य एवं व लिपि चिन्हों का प्रयोग किया जाता है।
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इन व्यंजन ध्वनियों के अतिरिक्त हिन्दी में दो अर्धस्वर / य्/ एवं /त्/ भी है जिनके लिए क्रमशः य एवं व लिपि चिन्हों का प्रयोग किया जाता है।
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इन व्यंजन ध्वनियों के अतिरिक्त हिन्दी में दो अर्धस्वर / य् / एवं / त् / भी है जिनके लिए क्रमशः य एवं व लिपि चिन्हों का प्रयोग किया जाता है।
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य एक स्वनिम है और बस्वनिम के उपस्वनों के रूप में एक ओर दंत्योष्ठ्य संघर्षी, सघोष ध्वनि है तोदूसरी ओर द्वयोष्ठ्य अर्धस्वर है जिन्हें उपस्वनों के रूप में इस प्रकार दिखायाजा सकता है [त्.
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य एक स्वनिम है और बस्वनिम के उपस्वनों के रूप में एक ओर दंत्योष्ठ्य संघर्षी, सघोष ध्वनि है तोदूसरी ओर द्वयोष्ठ्य अर्धस्वर है जिन्हें उपस्वनों के रूप में इस प्रकार दिखायाजा सकता है [त्.
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य एक स्वनिम है और ब स्वनिम के उपस्वनों के रूप में एक ओर दंत्योष्ठ्य संघर्षी, सघोष ध्वनि है तो दूसरी ओर द्वयोष्ठ्य अर्धस्वर है जिन्हें उपस्वनों के रूप में इस प्रकार दिखाया जा सकता है 5।
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य एक स्वनिम है और ब स्वनिम के उपस्वनों के रूप में एक ओर दंत्योष्ठ्य संघर्षी, सघोष ध्वनि है तो दूसरी ओर द्वयोष्ठ्य अर्धस्वर है जिन्हें उपस्वनों के रूप में इस प्रकार दिखाया जा सकता है [त्।
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य एक स्वनिम है और ब स्वनिम के उपस्वनों के रूप में एक ओर दंत्योष्ठ्य संघर्षी, सघोष ध्वनि है तो दूसरी ओर द्वयोष्ठ्य अर्धस्वर है जिन्हें उपस्वनों के रूप में इस प्रकार दिखाया जा सकता है [त्।
19.
व्याकरणिक निर्धनता अंग्रेजी की है कि वह “ स्वर ” “ अर्धस्वर ” “ दीर्घस्वर ” अथवा शब्द के अंत में व्यंजक ” व “ अर्धव्यंजक ” को नियमबद्ध ढंग से लिखना नहीं जानती किन्तु योग जैसी भारतीय सम्पदा को योगा का चोला हमने पहना डाला.!
20.
परंपरागत ‘ अर्धस्वर ' के अधीन परिगणित चारों व्यंजन य, र, ल, व में से पहला व्यंजन ‘ य ' ‘ अर्धस्वर ' है, जबकि ‘ व ' (जैसे: ‘ वन ' शब्दों में) वस्तुत: ‘ घोष संघर्षी ' है ।