इस दौरान उन्होंने नाइट्रोजन पर रेडियोधर्मी पदार्थ से प्राकृतिक रूप से निकलने वाले अल्फा कण से बमबारी की और अल्फा कण से भी अधिक ऊर्जायुक्त एक प्रोटॉन को निकलते देखा.
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इस प्रयोग का उदाहरण रदरफोर्ड का प्रयोग है जिसमे एक रेडीयो सक्रिय श्रोत से अत्याधिक ऊर्जा वाले अल्फा कण का उत्सर्जन होता है जो एक स्थिर लक्ष्य स्वर्ण झिल्ली से टकराते है।
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इंग्लैंड में उनके दल ने नाइट्रोजन पर रेडियोधर्मी पदार्थ से प्राकृतिक रूप से निकलने वाले अल्फा कण से बमबारी की और अल्फा कण से भी अधिक ऊर्जा युक्त एक प्रोटॉन को उत्सर्जित होते देखा.
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इंग्लैंड में उनके दल ने नाइट्रोजन पर रेडियोधर्मी पदार्थ से प्राकृतिक रूप से निकलने वाले अल्फा कण से बमबारी की और अल्फा कण से भी अधिक ऊर्जा युक्त एक प्रोटॉन को उत्सर्जित होते देखा.
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[11] इंग्लैंड में उनके दल ने नाइट्रोजन पर रेडियोधर्मी पदार्थ से प्राकृतिक रूप से निकलने वाले अल्फा कण से बमबारी की और अल्फा कण से भी अधिक ऊर्जा युक्त एक प्रोटॉन को उत्सर्जित होते देखा.
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[11] इंग्लैंड में उनके दल ने नाइट्रोजन पर रेडियोधर्मी पदार्थ से प्राकृतिक रूप से निकलने वाले अल्फा कण से बमबारी की और अल्फा कण से भी अधिक ऊर्जा युक्त एक प्रोटॉन को उत्सर्जित होते देखा.
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लेकिन इस प्रयोग के परिणाम आश्चर्यजनक थे, अल्फा कण स्वर्ण झिल्ली से टकराकर विभिन्न कोणो पर विचलित हो रहे थे, कुछ कण तो स्वर्ण झिल्ली के सामने वाले स्क्रिन पर भी टकराये थे।
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कुछ धनात्मक अल्फा कण काफ़ी हद तक विचलीत हुये थे, इससे रदरर्फोर्ड ने निष्कर्ष निकाला की परमाणु के अंदर कुछ ऐसा नन्हा ठोस धनात्मक भाग होना चाहीये जिससे अल्फा कण टकराकर लौट रहे थे।
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कुछ धनात्मक अल्फा कण काफ़ी हद तक विचलीत हुये थे, इससे रदरर्फोर्ड ने निष्कर्ष निकाला की परमाणु के अंदर कुछ ऐसा नन्हा ठोस धनात्मक भाग होना चाहीये जिससे अल्फा कण टकराकर लौट रहे थे।
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जिस तरह से रदरफोर्ड ने जिंक सल्फाइड की स्क्रिन से अदृश्य अल्फा कण के अस्तित्व तथा उनके पथ की जांच की थी उसी तरह से आधुनिक भौतिक वैज्ञानिक कणो के क्षय से उतप्न्न कणो को देखते है।